ॐ श्री 卐
ll श्रीशंकर ll
पू. श्री दासगणू महाराजांचा जीवनपट
| अ. क्र. | घटना | इसवी सन | वय* |
|---|---|---|---|
| १) | पौष शु. एकादशी शके १७८९ या तिथीला अकोळनेर, जि. पुण्यश्लोक अहिल्यानगर, येथे सहस्रबुद्धे यांच्या कुळात श्री.दत्तात्रेय व सौ.सावित्री यांच्या पोटी श्रीदासगणू महाराजांचा जन्म |
०६/०१/१८६८ | प्रारंभ |
| २) | मौंजी बंधन | १८७७ | ०९ |
| ३) | शिक्षणास सुरुवात | १८७८ | १० |
| ४) | शिक्षणाचा त्याग व बडोद्याला नोकरी | १८९० | २२ |
| ५) | विवाह – नोकरी त्याग – पुण्यश्लोक अहिल्यानगरला वापसी | १८९२ | २४ |
| ६) | मानी स्वभावामुळे गृहत्याग; पोलिसात भरती – श्रीगोंदा येथे प्रथम नियुक्ती | १८९३ | २५ |
| ७) | शिर्डीला श्रीसाईबाबांचे प्रथम दर्शन | १८९४ | २६ |
| ८) | सद्गुरु श्रीवामनशास्त्री इस्लामपूरकर यांची भेट व उपदेश | १८९६ | २८ |
| ९) | श्रीवामनशास्त्री काशीला रवाना व तिथेच ज्येष्ठ वद्य एकादशीला निर्वाण | १८९७ | २९ |
| १०) | जामखेडला बदली. तिथे स्वरचित कीर्तनाचा ओनामा व श्रीसाईबाबांच्या आदेशान्वये ओवीबद्ध संतचरित्रे लिखाणाचा श्रीगणेशा | १८९७ | २९ |
| ११) | जीवनाला कलाटणी देणारे दरोडेखोर कान्ह्या भिल्लाचे प्रकरण | १८९८ | ३० |
| १२) | श्रीसाईबाबांचा नोकरी सोडण्यासाठी तगादा | १८९९ | ३१ |
| १३) | जामखेडहून नेवासा येथे बदली | १९०१ | ३३ |
| १४) | नेवासा येथे मोहिनीराजाच्या मंदिरात शेवटचा तमाशा सादर करून रचलेल्या सर्व लावण्या जाळल्या | १९०२ | ३४ |
| १५) | पोलिसातील नोकरीचे त्यागपत्र | १९०४ | ३६ |
| १६) | श्रीसाईबाबांच्या आदेशान्वये मराठवाड्यातील नांदेडला आगमन | १९०५ | ३७ |
| १७) | मानसपुत्र श्री. दामोदर वामन आठवले यांची पुण्यात प्रथम भेट | १९०७ | ३९ |
| १८) | श्रीसाईबाबांच्या सांगण्यानुसार श्री.दामू अण्णा यांचा सौ.राधा (पू. अप्पांचे पिता-माता) यांचेशी विवाह. या विवाहास श्रीसाईबाबांची उपस्थिती होती | १९१४ | ४६ |
| १९) | विजयादशमीला शिर्डीत श्रीसाईबाबांनी देह ठेवला |
१५/१०/१९१८ | ५० |
| २०) | शके १८४२ च्या अनंतचतुर्दशीला पू. अप्पांचा जन्म | २७/०९/१९२० | ५२ |
| २१) | श्रीसाईबाबा संस्थानची स्थापना; श्रीदासगणु महाराज प्रथम अध्यक्ष |
१९२२ | ५४ |
| २२) | मानसपुत्र श्री दामूअण्णांचे पंढरपुरात दुःखद निधन | १९२४ | ५६ |
| २३) | लोणावळ्यात श्रीराम मंदिरात गंगादशहरा उत्सवास प्रारंभ | १९३७ | ६९ |
| २४) | घराघरात पोहंचलेला, शेगावच्या श्रीगजानन महाराजांच्या लीलाचरित्र वर्णन असलेला ‘श्रीगजाननविजय’ हा ग्रंथ लिहून पूर्ण |
१९४० | ७२ |
| २५) | गोरट्यात श्रीरुक्मिणीपांडुरंगाची स्थापना | १९५१ | ८३ |
| २६) | गोरट्यात श्रीशनिदेवाची स्थापना | १९५४ | ८६ |
| २७) | श्रीदासगणू महाराजांच्या इच्छेप्रमाणे श्रीसाईशरणानंद यांच्या हस्ते शिर्डीत श्रीसाईबाबांच्या मूर्तीची प्रतिष्ठापना; या निमित्त पू. अप्पांची चार दिवस कीर्तने झाली | १९५४ | ८६ |
| २८) | श्री.अनंत दामोदर आठवले (पू. अप्पा) यांनी लिहिलेला ‘श्रीदासगणू महाराज – व्यक्ती आणि वाङ्मय’ या ग्रंथाचे पुण्यात प्रकाशन | १९५६ | ८८ |
| २९) | श्रीदासगणू महाराजांनी आयुष्यातील एकमेव सत्कार पुण्यश्लोक अहिल्यानगर येथे स्वीकारला | १९५८ | ९० |
| ३०) | श्रीज्ञानेश्वर महाराज पुण्यतिथीला (कार्तिक वद्य १३, १८८३) पंढरपुरात महानिर्वाण |
२६/११/१९६२ | ९४ |
